श्रेष्ठ स्ट्रोक मैनेजमैंट के जरिए जीती जा सकती है ब्रेन स्ट्रोक से जंग : डॉ. जायसवाल
- हाड़ौती में ब्रेन स्ट्रोक का सर्वसुलभ उपचार जायसवाल हॉस्पिटल एवं न्यूरो इंस्टीट्यूट में उपलब्ध।
- 24 घंटे अत्याधुनिक सुविधाएं और बेहतरीन टीम दे रही सेवाएं।
कोटा.
श्रेष्ठ स्ट्रोक मैनेजमैंट के जरिए ब्रेन स्ट्रोक से जंग जीती जा सकती है, हाड़ौती में ब्रेन स्ट्रोक का सर्वसुलभ उपचार जायसवाल हॉस्पिटल एवं न्यूरो इंस्टीट्यूट में उपलब्ध है। यहां 24 घंटे अत्याधुनिक सुविधाएं और बेहतरीन टीम अपनी सेवाएं दे रही है। वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर डॉ. संजय जायसवाल वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि जायसवाल हॉस्पिटल एवं न्यूरो इंस्टीट्यूट,विज्ञान नगर कोटा विगत 26 वर्षो से न्यूरोलॉजिकल प्रोब्लम्स के उपचार के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। जिसमे से ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) प्रमुख रोग है। एनएबीएच से मान्यता प्राप्त हमारा अस्पताल आधुनिक उपकरणों के साथ एडवांस स्ट्रोक यूनिट में टीपीए (मस्तिष्क के रक्त के थक्के को पिघलाने वाली दवा) से इलाज की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध करता है। टीपीए पद्वति से शुरूआती 4.30 घंटे में मस्तिष्क की नली में जमे रक्त के थक्के को पिघलाया जाता है तथा लकवे द्वारा होने वाले दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है। कोटा सहित मध्य प्रदेश व आसपास के शहरों से लोग जायसवाल हॉस्पिटल एवं न्यूरो इंस्टीट्यूट पहुंचकर अपनों के जीवन को बचा पा रहे हैं।
लकवा होने के शुरूआती साढे चार घंटे मरीज के इलाज के लिए बहुत कीमती
डॉ. जायसवाल ने बताया कि लकवा होने के शुरूआती साढे चार घंटे मरीज के इलाज के लिए बहुत कीमती होते है। जायसवाल हॉस्पिटल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से मान्यता प्राप्त एचबीएसआर (हॉस्पिटल बेस्ड स्ट्रोक रजिस्ट्री) कार्यक्रम के संचालन की मान्यता प्राप्त है, जिसके अंतर्गत हम लकवा रोग से ग्रसित मरीजों का सारा डेटा संधारित करते है साथ ही रोजाना मरीजों से फीडबैक भी लेते है। इस सम्पूर्ण डाटा की मदद से हमें आने वाले अन्य नए लकवा रोगियों की सटीक डाईग्नोसिस एवं इलाज करने में सहायता मिलती है। जब मस्तिष्क में रक्तप्रवाह बाधित होता है तो मस्तिष्क की कुछ कोशिकाए तुरन्त मर जाती है और शेष कोशिकाओं के मरने का खतरा पैदा हो जाता है, समय पर दवाईयां देकर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बचाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने पता लगा लिया है कि पक्षाघात के शुरू होने के 4.30 घंटे के भीतर खून के थक्कों को घोलने वाले एजेंट टिश्यू प्लाजिमनोजेन एक्टिवेटर (टी.पी.ए) देकर इन कोशिकाओं में रक्त आपूर्ति बहाल की जा सकती है।
ब्रेन डेमेज के कारण: ब्रेन में रक्तवाहिकाओं में खून जम जाने या रक्तवाहिका फट जाने से मस्तिष्क की कोशिकाओं में रक्त व आक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाती है, वह हिस्सा सूखने लगता है और उससे संबंधित अंग काम करना बंद करने लगते है।
लकवा (पक्षाघात) के लक्षण:
शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी आना, चेहरे या एक हाथ या एक पैर में सुन्नपन अथवा कमजोरी, जुबान लडखडाना, आवाज का अचानक बंद हो जाना, तेज सिरदर्द एवं उल्टी के बाद बेहोश हो जाना, आंखो में धुंधलापन या अंधेरा छा जाना, दो बिम्ब बनना, ब्रेन अटैक (लकवा) के प्रमुख लक्षण है। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अत: इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाए।
निदान:- सर्वप्रथम मस्तिष्क का कम्प्यूटर एक्स-रे (सी.टी.स्कैन) लिया जाता है एवं साथ हीे रक्त परिक्षण किया जाता है। इसके पश्चात आवश्यकतानुसार अन्य जांचे की जाती है।
बचाव:-रक्तचाप,रक्त में शर्करा एवं कोलेस्ट्रोल की नियमित जांच एवं उपचार कराये,रक्तचाप व मधुमेह को नियंत्रित रखें। शराब एवं धुम्रपान का त्याग करे। बुजुर्गो में पानी की कमी न होने दे। उल्टी दस्त होने पर तुरंत उपचार करे। उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए ऐसी दवाएं न दे, जिससे मूत्र अधिक आता है।
विशेष सुझाव:- झाड-फूंक के चक्कर में न पडे, प्राथमिक उपचार-रोगी को सीधा लेटा दे, तकिया हटा दे एवं सुचारू श्वास क्रिया के लिए गर्दन एक तरफ घुमा दे। ब्रेन अटैक को गंभीर एवं इमरजेंसी मानते हुऐ रोगी को 3 घंटे के अंदर ही अस्पताल में भर्ती करवाएं। सुविधा उपलब्ध हो तो गहन चिकित्सा इकाई (आई.सी.यू) अथवा स्ट्रोक यूनिट में उपचार करवाना श्रेष्ठ होता है।
बी-फास्ट से समझे -ब्रेन स्ट्रोक में बैलेंस ,आइज,फेस, आर्म,स्पीच व टाइम का अहम रोल है। इसलिए निर्धारित समय में डॉक्टर को दिखाएं।
डॉ. संजय जायसवाल , एमडी, डीएम (वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट)
जायसवाल हॉस्पिटल एंड न्यूरो इंस्टीट्यूट
1-क-26-28 विज्ञान नगर कोटा,फोन:- 0744-2423232, 2433232, 8306860242